एमपी में किसानों ने सोयाबीन की खड़ी फसल नष्ट कर दी; कारण, उपज की गिरती कीमतें, फसलों की बढ़ती लागत
भोपाल (मध्य प्रदेश): फसल की गिरती कीमतों और खेती की बढ़ती लागत के कारण किसानों में आक्रोश फैल गया है और वे मध्य प्रदेश में विरोध स्वरूप ट्रैक्टरों या यहां तक कि हाथों से सोयाबीन की खड़ी फसल को नष्ट कर रहे हैं।
किसानों का आरोप है कि इस समय सोयाबीन का अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) 4,000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास है, जबकि पिछले साल यह 6,000 रुपये प्रति क्विंटल था। किसानों का आरोप है कि यह मूल्य फसल उगाने की लागत को भी कवर नहीं कर रहा है।
सोयाबीन की कीमतों में गिरावट की एक वजह उत्पादन में बढ़ोतरी भी है। इस साल 60 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन का उत्पादन हुआ है, जबकि पिछले साल यह 40 लाख मीट्रिक टन था।
हाल ही में मंदसौर जिले के गरोठ में किसान कमलेश पाटीदार ने अपनी सोयाबीन की फसल को ट्रैक्टर से नष्ट कर दिया क्योंकि फसल की लागत बाजार भाव से अधिक थी। ऐसे में उन्हें मुनाफा नहीं मिल सकता था। इसी तरह सीहोर में भी किसानों ने जिले के कई हिस्सों में सोयाबीन को नष्ट कर दिया है।
किसान केदार सिरोही कहते हैं, “उत्पादों के गिरते दाम और बढ़ती लागत से किसानों में नाराजगी है, इसलिए वे सोयाबीन की खड़ी फसल को नष्ट कर रहे हैं, जो मध्य प्रदेश की मुख्य फसल रही है। अब वे लहसुन और प्याज बोएंगे, जिससे सोयाबीन में उन्हें जो घाटा हुआ है, वह कम होगा। अगर बाजार में सोयाबीन का नया भाव 3,500 से 3,800 रुपये प्रति क्विंटल खुलता है, तो उन्हें क्या मिलेगा? इसे देखते हुए वे खड़ी फसल को नष्ट कर रहे हैं।”
भारतीय किसान संघ (बीकेएस) के कमल अंजना ने कहा, “किसान एमआरपी कम होने के कारण सोयाबीन की फसल नष्ट कर रहे हैं और इससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। अब वे नुकसान कम करने के लिए लहसुन की बुआई करेंगे। पितृ पक्ष और दुर्गा पूजा के दौरान वे दिसंबर के अंत तक लहसुन की बुआई और कटाई करेंगे। उन्हें लहसुन की अच्छी फसल होने की उम्मीद है। रतलाम, मंदसौर और नीमच के किसानों ने भी खड़ी फसल नष्ट कर दी है।”
पूर्व कृषि निदेशक डॉ. जीएस कौशल कहते हैं, “सरकार को सोयाबीन की चिंता करनी चाहिए, जिसे राज्य में तेल की मांग को पूरा करने के लिए एमपी लाया गया था। दरअसल, सरकार तेल आयात करती है, लेकिन सोयाबीन किसानों पर ध्यान नहीं दे रही है। सरकार ने एमएसपी घोषित कर दिया है, लेकिन सरकार खरीद नहीं करती और वैसे भी एमएसपी भी पर्याप्त नहीं है।”