Haryana News: विधानसभा भंग करेगी बीजेपी, सीएम नायब सैनी ने दिये संकेत
Haryana Update: राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा है कि भाजपा राज्यसभा की एक सीट पर उपचुनाव के बाद विधानसभा को भंग कर देगी।
इसकी वजह यह भी बताई जा रही है कि 12 सितंबर से पूर्व विधानसभा को भंग करने की सिफारिश सरकार से करने पर मानसून सत्र को बुलाने की आवश्यकता नहीं होगी।
2002 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि समय पूर्व भंग हुई विधानसभा में छह महीने के भीतर अगला सत्र बुलाने की संवैधानिक आवश्यकता नहीं होती।
15वीं विधानसभा के गठन की सूचना 3 हफ्ते बाद 5 सितंबर को जारी होगी। हालाँकि, 1 अक्टूबर को मतदान होगा। 4 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव की वोट की गिनती होगी। वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर तक है। 13 मार्च, पांच महीने पहले, विधानसभा का अंतिम एक दिन का सत्र बुलाया गया था, जिसमें मुख्यमंत्री नायब सैनी ने विश्वास मत हासिल किया था।
संविधान का अनुच्छेद 174 (1) कहता है कि विधानसभा के दो सत्रों के बीच छह महीने का अंतराल नहीं होना चाहिए। इसलिए, विधानसभा का सत्र 12 सितंबर से पहले बुलाना अनिवार्य है। भले ही वह सिर्फ एक दिन का हो।
विधानसभा का यह सत्र होना आवश्यक है
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने कहा कि अगर राज्यपाल 12 सितंबर से पूर्व कैबिनेट की सिफारिश पर विधानसभा को समय पूर्व भंग कर देते हैं, तो आगामी सत्र को बुलाने की जरूरत नहीं होगी।
विधानसभा का यह सत्र आवश्यक था क्योंकि भारत के संविधान के अनुच्छेद 213 (1) में राज्यपाल से पांच आध्यादेश (आर्डिनेंस) जारी किए गए हैं।
विधानसभा को समय पूर्व भंग करने से इन पांच आध्यादेशों की वैधता प्रभावित नहीं होगी।
राज्यसभा नॉमिनेशन के लिए 21 अगस्त की अंतिम तिथि
ECI ने उप-चुनाव की तैयारी पूरी कर ली है। IAS अफसर साकेत कुमार को रिटर्निंग ऑफिसर (RO) नियुक्त किया गया है, जो उप-चुनाव करेगा।
21 अगस्त नामांकन की अंतिम तिथि है; उम्मीदवार 27 अगस्त तक अपने नाम वापस ले सकेंगे। 3 सितंबर को मतदान किया जाएगा। सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक वोट डाले जाएंगे। 8 घंटे वोटिंग के बाद उसी दिन परिणाम जारी किया जाएगा।
राज्यसभा में भाजपा की जीत पक्की है
इस समय भाजपा के पास 41 विधायक हैं। इसका सीधा समर्थन 43 विधायकों से मिलता है, जिसमें एक निर्दलीय और एक सहयोगी हलोपा है। कांग्रेस छोड़कर आई तोशाम से विधायक किरण चौधरी भी अब भाजपा में शामिल हैं।
वह भी भाजपा की ओर ही वोटिंग करेगी। अब भाजपा को उनके वोट मिलाकर 44 विधायकों का समर्थन मिल गया है। उधर, विपक्ष में कांग्रेस के पास 28 विधायक (किरण चौधरी को छोड़कर), JJP के 6 (4 विधायक इस्तीफा दे चुके), INLD के 1 और 4 निर्दलीय विधायक हैं।
साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने कांग्रेस का उम्मीदवार बनाने से इनकार कर दिया है। जजपा के अलावा बाकी पार्टियों को बहुमत नहीं है।
क्रॉस वोटिंग होगी जब चुनाव होगा
यदि राज्यसभा सीट के लिए वोटिंग होती है तो भाजपा के पक्ष में क्रॉस वोटिंग हो सकती है। इसकी वजह किरण चौधरी के साथ ही JJP के चार विधायक भी भाजपा की मदद करेंगे।
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केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पहले भी कई बार कहा है कि कांग्रेस के विधायक ही एकजुट नहीं हैं। कांग्रेस विधायकों में भी संघर्ष है। भाजपा को ऐसे में कांग्रेस से भी क्रॉस वोटिंग का भरोसा रहेगा।