8.4% की जीडीपी ग्रोथ उम्मीद से बेहतर, फिर भी क्यों उठ रहे सवाल?
देश की जीडीपी ग्रोथ चालू वित्त वर्ष 2023-24 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में 8.4 प्रतिशत रही है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने हाल में जब ये डेटा जारी किया, तो इसकी खूब चर्चा हुई. ये जीडीपी में उम्मीद से कहीं बेहतर ग्रोथ है, लेकिन अलग-अलग हलकों में इसे लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. आखिर इसके पीछे क्या वजह हो सकती है?
वित्त वर्ष 2022-23 की इसी तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ महज 4.3 प्रतिशत थी. ऐसे में चालू वित्त वर्ष के जीडीपी आंकड़ों के बारे में देश के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने काफी अनोखी बात कही है. वह एक निजी न्यूज चैनल के साथ बातचीत कर रहे थे.
‘रहस्यमयी’ हैं जीडीपी आंकड़े
पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार .अरविंद सुब्रमण्यम का कहना है कि देश के नए जीडीपी आंकड़े ‘पूरी तरह रहस्यमयी’ हैं. इन्हें समझ पाना थोड़ा मुश्किल है. उन्होंने कहा, ”मैं ईमानदारी से बताना चाहता हूं कि ताजा जीडीपी डेटा को मैं समझ नहीं पा रहा हूं. ये बिल्कुल रहस्यमयी हैं और आपस में मेल नहीं खाते हैं. मुझे नहीं पता कि इनका क्या मतलब है?”
पूर्व सीईए ने कहा कि इसमें काफी डेटा ऐसा है कि वह उसे समझ नहीं पाते हैं. वह यह नहीं कह रहे हैं कि ये डेटा गलत है, लेकिन बस वह इसके निहितार्थ समझ नहीं सकते हैं. इसका फैसला दूसरों को करना है. उन्होंने कहा कि देश में अब भी प्राइवेट और कॉरपोरेट सेक्टर का निवेश 2016 के स्तर से काफी नीचे है.
अरविंद सुब्रमण्यम का ये बयान ऐसे वक्त आया है, जब राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) ने चालू वित्त वर्ष की पहली (अप्रैल-जून) और दूसरी तिमाही ( जुलाई-सितंबर) के लिए भी जीडीपी अनुमान को संशोधित कर क्रमशः 8.2 प्रतिशत और 8.1 प्रतिशत कर दिया है.
महंगाई के आंकड़े मेल नहीं खाते
अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा कि जीडीपी के आंकड़ों से लगता है कि देश में महंगाई की दी सिर्फ 1 से 1.5 प्रतिशत है. जबकि इकोनॉमी में इस समय असली महंगाई दर 3 से 5 प्रतिशत के बीच है. देश की इकोनॉमी 7.5 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है, भले ही लोगों का पर्सनल कंजप्शन 3 प्रतिशत की दर से बढ़ा है. उन्होंने कहा कि संभवतया ताजा आंकड़ों में गलती और चूक की गणना की गई है.