Explainer : आई नई EV पॉलिसी, Tesla की भारत में एंट्री ऐसे बनेगी आसान
टेस्ला कारों का इंतजार इंडिया में लंबे समय से हो रहा है. अब इसके भारत आने का रास्ता साफ हो गया है और इसकी मैन्यूफैक्चरिंग भी देश में ही होगी. भारत सरकार ने एक नई इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी को मंजूरी दी है, जो देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा देने में मदद करेगी. इस पॉलिसी का मकसद भारत को दुनिया की इलेक्ट्रिक वाहन कंपनियों के लिए एक भरोसेमंद मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना है.
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को जानकारी दी कि देश में नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति को मंजूरी दी गई है. इस नीति के तहत भारत की कोशिश होगी कि दुनिया की बड़ी ईवी कंपनियां भारत में निवेश करें.
करना होगा 4150 करोड़ का निवेश
नई नीति के हिसाब से अगर कोई इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी भारत में अपना मैन्युफैक्चरिंग या असेंबलिंग प्लांट लगाना चाहती है, तो उसे कम से कम 50 करोड़ डॉलर (यानी 4,150 करोड़ रुपए) का निवेश करना जरूरी होगा. जबकि इस सेगमेंट में अधिकतम निवेश की कोई सीमा तय नहीं है. ज्यादा से ज्यादा कंपनियां भारत आएं, इसके लिए सरकार उन्हें कई तरह की टैक्स छूट का फायदा देगी.
वहीं कुछ कंपनियां अपनी गाड़ियों का आयात भी कर सकेंगी, हालांकि इसके लिए उसे पहले से इंपोर्ट की जाने वाली गाड़ियों की संख्या बतानी होगी. इंपोर्ट पर मिलने वाली कुल टैक्स छूट का हिसाब-किताब कंपनी के इंवेस्टमेंट या पीएलआई स्कीम के तहत उसे मिलने वाली 6,484 करोड़ रुपए की प्रमोशनल वैल्यू में से जो भी कम होगा, उसी तक सीमित होगा.
80 करोड़ डॉलर इंवेस्टमेंट करने पर होंगे मजे
अगर कोई कंपनी भारत में 80 करोड़ डॉलर यानी करीब 6630 करोड़ रुपए या उससे अधिक का निवेश करती है, तो उसे हर साल अधिकतम 40,000 इलेक्ट्रिक व्हीकल के इंपोर्ट की इजाजत होगी. हालांकि इसमें भारत के हितों का ख्याल रखा गया है. कंपनी को उसकी इंवेस्टमेंट कमिटमेंट के बदले जो टैक्स छूट मिलेगी, वह बैंक गारंटीड होगी. ऐसे में कंपनी के इंवेस्टमेंट कमिटमेंट पूरी नहीं करने की स्थिति में भी नुकसान नहीं होगा.
इतना ही नहीं, कंपनी भारत के बाजार के एक्सेस के साथ-साथ ‘मेक इन इंडिया’ की मूल थीम के हिसाब से भारत में अपने प्रोडक्ट्स बनाकर उनका एक्सपोर्ट भी कर सकेगी. ये पॉलिसी देश में ईवी कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देकर इकोसिस्टम को मजबूत करेगी.
हालांकि देश के अंदर इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने वाली कंपनियों को मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट लगाने और गाड़ियों का कमर्शियल प्रोडक्शन शुरू करने के लिए 3 साल का समय मिलेगा. वहीं मैक्सिमम 5 साल के भीतर कंपनियों को अपने टोटल इनपुट में 50 प्रतिशत सामान घरेलू मार्केट से खरीदना होगा.
टेस्ला की राह हुई आसान
सरकार की इस नीति से एलन मस्क की टेस्ला की राह काफी आसान हुई है. टेस्ला भारत में अपनी मैन्यूफैक्चरिंग शुरू करने से पहले कुछ समय के लिए गाड़ियों को इंपोर्ट करना चाहती थी. साथ ही इस पर इंपोर्ट शुल्क में छूट भी चाहती थी. जबकि सरकार का पक्ष था कि कंपनी भारत में ही उत्पादन करे. हालांकि पीएम नरेंद्र मोदी ने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान एलन मस्क से मुलाकात की थी और उसके बाद से ही देश में नई तरह की ईवी पॉलिसी की जरूरत बढ़ गई थी.
अब इस नई पॉलिसी में बीच का रास्ता निकाला गया है. इससे टेस्ला जैसी कंपनियों को भारत में अपनी मैन्युफैक्चरिंग के साथ-साथ अपनी गाड़ियों को रियायती दर पर इंपोर्ट करने में भी आसानी होगी.