सोना-चांदी नहीं अब है हीरा-पन्ना का जमाना, जल्द ऐसे बनेगी 8.33 लाख करोड़ इंडस्ट्री
भारतीयों के सोने-चांदी और जेवरात से प्यार को पूरी दुनिया जानताी है. भारत गोल्ड के सबसे बड़े इंपोर्टर में से एक है. लेकिन अब जमाना बदल रहा है. भारत में अब हीरा, पन्ना और अन्य रंगीन पत्थरों (जेमस्टोन) की डिमांड बढ़ रही है. वहीं इसका कारोबार भी तेजी से बढ़ रहा है. एक्सपोर्ट के मामले में भी भारत की दुनिया में मजबूत पकड़ है.
भारत में हीरा और रत्न एवं रंगीन पत्थरों का मुख्य व्यापार केंद्र गुजरात और राजस्थान है. गुजरात का सूरत जहां दुनिया की सबसे बड़ी हीरा मंडी है. वहीं राजस्थान का जयपुर रत्न और रंगीन पत्थरों के सबसे बड़े मार्केट में से एक है.
दुनिया के सबसे बड़े एक्सपोर्टर में से एक
दुनिया में रत्न और आभूषण के कुल एक्सपोर्ट में भारत की हिस्सेदारी 3.5% है. इस मामले में भारत दुनिया के टॉप-7 एक्सपोर्टर में शामिल है. वही अगर बात सिर्फ हीरे की जाए, तो भारत दुनिया में नंबर-1 पोजिशन पर है. दुनिया का करीब 29% हीरा भारत ही एक्सपोर्ट करता है. वहीं प्रयोगशाला में तैयार होने वाले हीरे और अन्य कीमती पत्थरों के मामले भारत एक्सपोर्ट में 32.7% की हिस्सेदारी रखता है.
बनेगी 100 अरब डॉलर की इंडस्ट्री
भारत में रत्न और आभूषण का कारोबार तो तेजी से ही बढ़ ही रहा है. इसमें हीरों और अन्य आभूषणों को निकाल दें, तो सिर्फ कीमती रंगीन पत्थरों (जेमस्टोन) का कारोबार भी काफी बड़ा है. साल 2023 में भारत में जेमस्टोन का कारोबार 70.78 करोड़ डॉलर (करीब 6000 करोड़ रुपए) का रहा है. ये हर साल 10 प्रतिशत से अधिक की रफ्तार से बढ़ रहा है. मार्केट ट्रेंड के मुताबिक इसके 2033 तक 191.69 करोड़ डॉलर (करीब 15,675 करोड़) पर पहुंचने का अनुमान है.
वहीं अगर देश से होने वाले रत्न और आभूषण के ओवरऑल व्यापार को देखें, तो 2027 तक इनका एक्सपोर्ट ही 100 अरब डॉलर (करीब 8.33 लाख करोड़ रुपए) पहुंच सकता है. भारत सरकार ने इसके लिए कई कदम उठाए हैं. सरकार ने संयुक्त अरब अमीरात के साथ एफटीए किया है जो अमेरिका में निर्यात बढ़ाने में मदद करेगा. इसके अलावा सरकार ने कस्टम ड्यूटी घटाने का फैसला किया है. पॉलिश हीरे और कीमती रंगीन पत्थरों पर इसे 7.5% से घटाकर 5% और शून्य तक किया है.