म्युचूअल फंड से हो रही कमाई, मल्टी ऐसेट फंड करा रहे जोरदार मुनाफा

इजराइल-हमास वॉर के बाद से शेयर बाजार में उठा-पटक बनी हुई है. ऐसे में निवेशकों के मन में एक भय का महौल है. विदेशी निवेशकों के साथ-साथ भारतीय निवेशक भी सोच रहे हैं कि ऐसे माहौल में कहां पैसा लगाया जाए. अगर आप भी बाजार के उठा-पटक से चिंतिंत हैं तो घबराने की बाद नहीं. आपको मल्टी एसेट म्यूचुअल फंड के बारे में बताते है.

आकड़ों की बात करें तो सितंबर 2023 में, मल्टी एसेट एलोकेशन फंड्स से इनफ्लो 6,324 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो अगस्त के इनफ्लो से 4,707 करोड़ रुपये अधिक रहा. इसका कारण है कि मल्टी एसेट एलोकेशन फंड हाइब्रिड फंड होते हैं जो इक्विटी, डेट, कमोडिटी आदि जैसे कम से कम तीन एसेट क्लासों में निवेश करते हैं.

ऐसे मिलता है फायदा

सेबी का आदेश है कि मल्टी एसेट फंड को हर समय तीन या अधिक एसेट क्लासेज में से प्रत्येक में अपने कुल एयूएम का न्यूनतम 10% निवेश करना होगा. लेकिन यहाँ पेंच है. मल्टी एसेट एलोकेशन फंड्स के संभावित लाभों को अधिकतम करने में आपकी मदद करने के लिए, उनके पास एसेट क्लासेज में बड़ा और निश्चित आवंटन होना चाहिए.

19 फीसदी का रिटर्न

एक सही मल्टी एसेट फंड का एक उदाहरण निप्पॉन इंडिया मल्टी एसेट फंड है. पिछले एक साल में 19 फीसदी का रिटर्न देने वाला यह फंड 4 एसेट क्लास में निवेश करता है- इंडियन इक्विटीज (50%), ओवरसीज इक्विटीज (20%), कमोडिटीज (15%) और डेट में (15%) निवेश करता है. चार एसेट क्लास में इन्वेस्टमेंट करने का यह स्टाइल इसकी स्थापना के बाद से कभी भी नहीं बदला है और ना ही बदलेगा. इसलिए निवेशकों को इस मल्टी एसेट फंड से सही लाभ मिलता है. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कोई फंड हाउस एक निश्चित आवंटन रणनीति का पालन करता है, तो निवेशकों को अमूमन हमेशा लाभ होता है.

क्या कहता है सेबी का नियम

सेबी के आदेश के अनुसार, एक फंड मैनेजर डेट और कमोडिटी में से प्रत्येक में 10% निवेश कर सकता है और शेष 80% इक्विटी में निवेश कर सकता है। अगर इक्विटी बाजार में गिरावट आती है, तो निवेशकों को नुकसान होगा क्योंकि डेट और कमोडिटी के लिए आवंटन केवल 10% है और यदि अनुपात बड़ा और निश्चित नहीं है तो उन्हें वास्तव में एसेट क्लासेज के बीच कम आपसी संबंध का लाभ नहीं मिलता है.

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