एचएएल बनी देश की 14वीं महारत्न कंपनी, हाईलेवल कमेटियों की अनुशंसा के बाद मिला दर्जा
नई दिल्ली, 12 अक्टूबर (हि.स.)। डिफेंस सेक्टर की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) अब देश की महारत्न कंपनियों की सूची में शामिल हो गई है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की मंजूरी मिलने के बाद डिपार्मेंट आफ पब्लिक एंटरप्राइजेज ने इस बात का ऐलान किया है। डिपार्टमेंट की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में इसकी जानकारी दी गई है।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को अपग्रेड करने के लिए दो हाई लेवल कमेटियों- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में बनी इंटर मिनिस्टीरियल कमेटी और कैबिनेट सेक्रेटरी की अगुवाई में बनी एपेक्स कमेटी ने अपनी ओर से सिफारिश की थी। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड देश की 14वीं ऐसी कंपनी है जिसे महारत्न का दर्जा मिला है। इससे पहले पिछले साल अगस्त 2023 में क्रूड ऑयल प्रोडक्शन करने वाली कंपनी ऑल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल)को महारत्न का दर्जा मिला था। महारत्न की इस सूची में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और इंडियन ऑयल के अलावा भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल), इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), बीएचईएल, कोल इंडिया, गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (गेल), एनटीपीसी, पावर ग्रिड कॉरपोरेशन, ओएनजीसी, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल), आरईसी और पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) शामिल हैं।
किसी भी सरकारी कंपनी को महारत्न का दर्जा हासिल करने के लिए कड़े वित्तीय मापदंडों को पूरा करना पड़ता है। इन मापदंडों में लगातार 3 वित्त वर्ष में उनका औसत सालाना कारोबार 25,000 करोड़ रुपये से अधिक होना चाहिए। इसी तरह उनका एवरेज इयरली नेटवर्थ 15,000 करोड़ रुपये से अधिक होना चाहिए। इसके साथ ही कंपनियों का एवरेज इयरली नेट प्रॉफिट 5,000 करोड़ रुपये से अधिक होना चाहिए। इन सबके अलावा इसमें एक सबसे अहम शर्त ये भी होती है कि इन कंपनियों को बिना सरकारी गारंटी के या बिना सरकारी सहयोग के अपने काम का संचालन करना होता है। इन मापदंडों पर खरा उतरने के बाद ही वित्त मंत्री की अगुवाई वाली कमेटी और कैबिनेट सेक्रेटरी की अगुवाई वाली कमेटी की अनुशंसा के बाद किसी सरकारी कंपनी को महारत्न का दर्जा दिया जाता है।
महारत्न का दर्जा मिलने के बाद सरकारी कंपनियों को कार्य संचालन और नीति निर्धारण से संबंधित फैसला लेने में तुलनात्मक तौर पर अधिक आजादी मिल जाती है। ये कंपनियां सरकार की मंजूरी लिए बिना अपने किसी प्रोजेक्ट में 1,000 करोड़ रुपये तक या अपने नेटवर्थ का 15 प्रतिशत तक निवेश कर सकती हैं। साफ है की महारत्न का दर्जा मिलने के बाद कंपनी के विस्तार की संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस प्रोडक्शन (डीओडीपी) के तहत काम करती है। डीओडीपी के तहत होने के करण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को संवेदनशीलता के कारण आगे भी कई बंदिशों के तहत काम करना होगा। इसके बावजूद ये कंपनी अपने स्तर से कई फैसले लेने के लिए भी स्वतंत्र हो जाएगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / योगिता पाठक