दिल्ली मे इतिहास बन जाएगा 150 साल पुराना लोहे का पुल, नए पुल का काम अंतिम चरण मे, रेल ट्रैक बिछाने का काम जारी

यमुना पर बनाया जा रहा पुल, जो गाजियाबाद और पुरानी दिल्ली को जोड़ता है, उस पर ट्रैक बिछाने का काम शुरू हो गया है। इससे अगले तीन महीने में ट्रेनें चलने लगेंगी। यमुना की बाढ़ से रेलवे ट्रैफिक प्रभावित नहीं होगा। वहीं करीब 150 वर्ष पुराना लोहे का पुल इतिहास बन जाएगा।

पुराना लोहे का पुल 1866 में बनाया गया था

दरअसल, अंग्रेजों ने 1866 में यमुना नदी पर एक पुराना लोहे का पुल बनाया था। इससे दिल्ली से कोलकाला की ट्रेनें चलती थीं। निर्माण के समय 80 साल की उम्मीद की गई थी, लेकिन अब इस लोहे के पुल की उम्र160 हो चुकी है, क्योंकि कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने से ट्रेनें अभी भी इससे गुजरती हैं। हर दिन पुरानी दिल्ली से गाजियाबाद के बीच करीब 150 ट्रेनें चलती हैं।

रेलवे ने 1998 में इसके बराबर नया पुल बनाने का प्रस्ताव भी बनाया था। इसका निर्माण 2003 में शुरू हुआ था। निर्माण की लागत करीब 137 करोड़ रुपये थी, लेकिन कई बाधाओं से काम बीच-बीच में रुकता रहा। शुरूआती योजना के अनुसार, रेल लाइन को लाल किले के बगल में सलीमगढ़ किले के पास से निकाला जाएगा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) विभाग ने इस पर आपत्ति जताई। 2011 में रिपोर्ट आई। इसका निर्माण किले के बाइपास से होगा। 2012 में ASI भी मंजूरी दे दी। नए पुल का निर्माण अब अंतिम चरण में आ गया है।

पुरानी रेलवे लाइन को नए ट्रैक से जोड़ा जाएगा

दिल्ली मंडल के रेलवे अधिकारियों ने कहा कि ट्रैक बिछाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। पुल के दोनों ओर नया ट्रैक पुरानी ट्रेन लाइन से जुड़ जाएगा। इसमें कुछ समय लगेगा। ऐसे में नवंबर तक पूरी तरह से निर्माण कार्य पूरा होने की उम्मीद है। रेलवे इसके बाद पुराने लोहे के पुल को बंद कर देगा।

यमुना जलस्तर बढ़ने पर ट्रेनों का परिचालन नहीं होगा प्रभावित

पुराने लोहे के पुल से ट्रेनें धीमी गति से गुजरती हैं। विशेष रूप से बारिश के मौसम में ट्रेनों का परिचालन प्रभावित होता है। वहीं, जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर जाने पर पुल को यातायात के लिए रोकना पड़ता है। पिछले वर्ष जुलाई में बाढ़ आने पर ट्रेनों की आवाजाही कई दिनों तक बंद थी। अधिकारियों ने बताया कि यमुना का जलस्तर बढ़ने पर पुल से EMU 15 km/h, मेल और एक्सप्रेस ट्रेनें 20 km/h और मालगाड़ियां 10 km/h चलती हैं।

ट्रेनें चलेंगे, गाड़ी चलेगी

पुराने लोहे का पुल दो मंजिला है। नीचे की सड़क पर वाहनों की आवाजाही रहती है, जबकि ट्रेनें इसके ऊपरी हिस्से पर चलती हैं। पुल बनने के बाद रेलवे अपना ट्रैफिक उस पर स्थानांतरित करेगा। वहीं, वाहनों के लिए नीचे का हिस्सा खुला रहेगा। ट्रेनें बंद होने के बाद भी चांदनी चौक और गांधी नगर के बीच छोटे वाहन चलते रहेंगे।

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