Haryana News: हरियाणा के 1.20 लाख कर्मचारियों की जॉब सेक्युर्टी पर लटकी तलवार, आचार संहिता के चलते ऑर्डिनेंस नहीं बनेगा!

Haryana Update: हरियाणा मे विधानसभा चुनाव 2024 की तिथि घोषित हो चुकी है। हरियाणा में विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही 1.20 लाख कर्मचारियों की नौकरी की सुरक्षा पर संकट के बादल छा गए है। सीएम नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक में अध्यादेश को मंजूरी दी गई, जो सरकारी विभागों, बोर्डों, निगमों और संस्थाओं में 5 साल से अधिक समय से काम कर रहे 1.20 लाख अस्थायी कर्मचारियों को सुरक्षा देगा।

14 अगस्त को इसकी घोषणा की गई। अगले दिन 15 अगस्त की छुट्टी थी, और 16 अगस्त की शाम को आदर्श आचार संहिता लागू हो गया। इससे अब 1.20 लाख कर्मचारियों की नौकरी सुरक्षित करने में बाधा आई है।

इन दो चक्कों से फंसा हुआ पेंच

नौकरी की सुरक्षा में बाधा डालने के दो कारण बताए जा रहे हैं। पहला कारण है कि अध्यादेश को लागू करने के लिए निर्देश जारी करने की आवश्यकता थी। ये अभी नहीं जारी किए गए हैं और अगर ऐसा होता है तो भारत निर्वाचन आयोग (ECI) से अनुमति लेनी होगी। यह अनुमति इतनी जल्दी मिलना मुश्किल है।

दूसरा कारण यह है कि आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद अधिकांश अफसर ऐसे आदेश देने से बचते हैं। उन्हें पता है कि ऐसे मामलों में नियंत्रण तैयार होता है।

एक्सटेंशन लेक्सर्च भी काम सुरक्षित करने में असमर्थ

17 अगस्त को मंत्रिमंडल की बैठक में प्रस्तुत होने वाला अध्यादेश, जो आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने के कारण सरकारी विश्वविद्यालयों में कार्यरत एक्सटेंशन शिक्षकों को नौकरी की सुरक्षा देने के लिए बनाया जाना था, अब नहीं बनाया जा सकेगा। इसलिए उनके लिए कोई कानून नहीं बनेगा।

यूनिवर्सिटीज में कार्यरत सहायक प्रोफेसरों को भी नौकरी की सुरक्षा नहीं मिलेगी क्योंकि एक्सटेंशन लेक्चरर्स के लिए कानून नहीं बन पाएगा। अब सरकार भी हड़ताल पर चल रहे NHM कर्मचारियों को कोई राहत नहीं दे पाएगी।

2014 में हुड्डा ने रेगुलराइजेशन पॉलिसी बनाई

2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार ने रेगुलराइजेशन पॉलिसीज जारी की, जिसका उद्देश्य था कि समय रहते संबंधित अफसरों को संबंधित योग्य कर्मचारियों को रेगुलर करने का आदेश दिया जाए।

इसके बावजूद, कुछ विभागों के अधिकारियों ने आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने की तिथि तक कोई अधिसूचना नहीं दी थी। जिससे बहुत से अस्थायी कर्मचारी रेगुलर हो गए। आज भी वे अस्थायी हैं।

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