Bihar Weather : आज बिगड़ेगा बिहार का मौसम, 12 जिलों के लिए आंधी-बारिश का अलर्ट जारी
Bihar Weather Today (Haryana Update) : प्रदेश का मौसम तेजी से बदल रहा है. भीषण गर्मी से जूझ रहे राज्य के लोगों को सोमवार को कुछ राहत मिल सकती है. राज्य के पर्यावरण पर पूर्वा का प्रभाव बढ़ने की आशंका है. अगले सप्ताह राज्य के कुछ इलाकों में 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने का अनुमान है. मौसम में बदलाव का क्रम 11 मई तक जारी रह सकता है. बिहार के कई जिलों में बारिश के आसार हैं. इस दौरान राज्य के कुछ इलाकों में मौसम में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है. पटना मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों का कहना है कि बंगाल के आसपास एक चक्रवाती घेरा बन रहा है, जिसका असर बिहार, झारखंड, ओडिशा, दक्षिणी छत्तीसगढ़ तक होने की संभावना है.
बिहार के इन जिलों में बारिश की संभावना
बिहार में आज शाम से मौसम बदलना शुरू हो जाएगा. आसमान में बादल छाये रहेंगे. 6 मई से 9 मई के बीच पटना, किशनगंज, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, कटिहार और पूर्णिया के कुछ हिस्सों में बारिश और आंधी की चेतावनी जारी की गई है. इसके अलावा बांका, भागलपुर, मुंगेर में भी बारिश की संभावना जताई गई है. जमुई और खगड़िया. बारिश के बाद लोगों को भीषण गर्मी से राहत मिल सकती है.
इन जिलों में हो सकती है बारिश
उत्तर-पश्चिमी राजस्थान और उसके आसपास भी चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है। इस दौरान राज्य के कुछ इलाकों में गरज-चमक के साथ बारिश होने की भी संभावना है. शनिवार को शेखपुरा और वैशाली में लू चली। राज्य के शेखपुरा और वैशाली में लू चली.
शनिवार को बक्सर राज्य का सबसे गर्म स्थान रहा, जहां अधिकतम तापमान 42.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. जबकि सबसे कम तापमान डेहरी में रिकॉर्ड किया गया. शेखपुरा में 42.1 डिग्री और वैशाली में 41.7 डिग्री तापमान रिकॉर्ड किया गया. राजधानी में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया. राज्य में सबसे कम तापमान डेहरी में रहा. वहां न्यूनतम तापमान 14.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि मौसम में उतार-चढ़ाव होने पर लोगों को बेहद सावधान रहने की जरूरत है. कुछ इलाकों में तेज तूफान से काफी नुकसान हो सकता है.
तैयार फसल की कटाई करें
किसानों के लिए जारी सूचना में मौसम वैज्ञानिकों ने कहा कि प्री-मानसून का दौर शुरू हो गया है. ऐसे में किसानों को जल्द से जल्द तैयार फसल को समेटने की जरूरत है. साथ ही, आम और लीची की फसल को न्यूनतम नुकसान सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाना समय की मांग है।